BAMS me kitne subject hote hai

BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) एक 5.5 वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम है, जिसमें 4.5 वर्ष की शैक्षणिक शिक्षा और 1 वर्ष की इंटर्नशिप शामिल होती है। इस कोर्स में आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान दोनों के विभिन्न विषयों का अध्ययन किया जाता है। इस लेख में हम BAMS के विभिन्न वर्षों के प्रमुख विषयों और उनकी विशेषताओं की चर्चा करेंगे।

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BAMS में कितने सब्जेक्ट होते हैं?

BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) में कुल 20 विषय होते हैं, जो छात्रों को आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की गहराई से समझ प्रदान करते हैं। इस पाठ्यक्रम को चार वर्षों में विभाजित किया गया है। पहले वर्ष में 4 विषय होते हैं: संस्कृत एवं आयुर्वेद इतिहास, पदार्थ विज्ञान, क्रिया शरीर, और रचना शरीर। दूसरे वर्ष में 4 विषय पढ़ाए जाते हैं: द्रव्यगुण विज्ञान, रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना, रोग निदान, और चरक संहिता (पूर्वार्ध)। तीसरे वर्ष में 5 विषय शामिल हैं: स्वस्थवृत्त एवं योग, अगद तंत्र, प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग, बाल रोग, और चरक संहिता (उत्तरार्ध)। चौथे और अंतिम वर्ष में 4 प्रमुख विषय होते हैं: कायचिकित्सा, शल्य तंत्र, शालाक्य तंत्र, और पंचकर्म। इसके अतिरिक्त, 1 वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप भी शामिल होती है, जो व्यावहारिक अनुभव प्रदान करती है।

BAMS के प्रमुख विषयों की सूची

प्रथम वर्ष के विषय:

  1. संस्कृत एवं आयुर्वेद इतिहास (Sanskrit and History of Ayurveda)

    • आयुर्वेद का ऐतिहासिक विकास और मूलभूत सिद्धांत।

  2. पदार्थ विज्ञान (Padartha Vigyan)

    • आयुर्वेदिक दर्शन और पदार्थों का वर्गीकरण।

  3. क्रिया शरीर (Kriya Sharir - मानव शरीर क्रियाविज्ञान)

    • मानव शरीर की शारीरिक प्रक्रियाओं का अध्ययन।

  4. रचना शरीर (Rachana Sharir - मानव शरीर रचना विज्ञान)

    • शरीर की संरचना और शारीरिक संरचना का गहन अध्ययन।

द्वितीय वर्ष के विषय:

  1. द्रव्यगुण विज्ञान (Dravyaguna Vigyan - औषधीय पौधों का अध्ययन)

    • औषधीय पौधों के गुण, उपयोग और प्रभाव।

  2. रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना (Rasashastra and Bhaishajya Kalpana - आयुर्वेदिक फार्मेसी)

    • आयुर्वेदिक दवाओं की तैयारी और उनकी प्रक्रिया।

  3. रोग निदान (Roga Nidana - रोगों का निदान)

    • रोगों के कारण और निदान के आयुर्वेदिक सिद्धांत।

  4. चरक संहिता (पूर्वार्ध) (Charaka Samhita - Purvardha)

    • आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्राचीन ग्रंथ का अध्ययन।

तृतीय वर्ष के विषय:

  1. स्वस्थवृत्त एवं योग (Swasthavritta and Yoga - सार्वजनिक स्वास्थ्य और योग)

    • स्वास्थ्य संरक्षण और योग के सिद्धांत।

  2. अगद तंत्र (Agad Tantra - आयुर्वेदिक विषविज्ञान)

    • विषविज्ञान और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उपचार।

  3. प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग (Prasuti Tantra evam Stri Roga - प्रसूति और स्त्री रोग विज्ञान)

    • प्रसूति और स्त्री रोगों का अध्ययन।

  4. बाल रोग (Kaumarbhritya - बाल चिकित्सा)

    • शिशु और बाल चिकित्सा के सिद्धांत।

  5. चरक संहिता (उत्तरार्ध) (Charaka Samhita - Uttarardha)

    • चिकित्सा पद्धतियों का विस्तृत अध्ययन।

चतुर्थ वर्ष के विषय:

  1. कायचिकित्सा (Kayachikitsa - सामान्य चिकित्सा)

    • विभिन्न बीमारियों का आयुर्वेदिक उपचार।

  2. शल्य तंत्र (Shalya Tantra - सर्जरी)

    • सर्जरी के आयुर्वेदिक और आधुनिक दृष्टिकोण।

  3. शालाक्य तंत्र (Shalakya Tantra - ईएनटी और नेत्र विज्ञान)

    • कान, नाक, गला और नेत्र रोगों का उपचार।

  4. पंचकर्म (Panchakarma - आयुर्वेदिक डिटॉक्सिफिकेशन थेरेपी)

    • शरीर को शुद्ध करने की प्रक्रियाएँ।

BAMS विषयों का महत्व

इन विषयों के माध्यम से, छात्र आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मूलभूत और व्यावहारिक जानकारी प्राप्त करते हैं। यह उन्हें एक कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक बनने में सहायता करता है।

निष्कर्ष

BAMS में पढ़ाए जाने वाले विषय आयुर्वेदिक चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। इस कोर्स के जरिए छात्र न केवल प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को समझते हैं बल्कि आधुनिक चिकित्सा के साथ उनका तालमेल भी सीखते हैं। यदि आप आयुर्वेद में रुचि रखते हैं और एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक बनना चाहते हैं, तो BAMS एक उत्कृष्ट विकल्प है।

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